भारत भले की विकास कर रहा हो, लेकिन गांवों की हालत आज भी वैसे ही है। सरकार द्वारा योजनाएं चलाए जाने के बावजूद वहां के हालात में अभी सुधार नहीं हो रहा है। इसके पीछे की मुख्य वजह है जमीनी स्तर पर काम करने वाले और पढे लिखे लोगों की कमीं। इस कारण गांव में लोग आज भी मुसीबतों का सामना कर रहे हैं।
आज हम आपको एक ऐसे ही गांव की कहानी बताने जा रहे हैं, जिसकी सरपंच ने गांव की तस्वीर बदल कर रख दी है। इस वजह से उस महिला सरपंच को आदर्श युवा सरपंच (मुखिया) का पुरस्कार मिल चुका है।
पहले उस गांव की कहानी, जहां की सरपंच को मिला पुरस्कार
सड़क बुनियादी सुविधाओं में सब से ज़रूरी होता है, इसी मामले में यह गांव अनाथ था। पगडंडियों वाले रास्ते, हिचकोले खाते गाड़ियों का जाना। खड्ढे इतने की पता ही नहीं चलता था कि सड़क में खड्ढे हैं या खड्डों में सड़क। सड़क बिना कोई व्यापार नहीं हो सकता था, न प्रति दिन कोई बाजार लग सकता था । गाड़ी लेकर निकलिये, कमर में दर्द लिए वापस आइये, कोई गर्भवती महिला है तो पंचायत से निकलते निकलते दम तोड़ देती थी। ये थी बिहार में सीतामढी जिले की सिंहवाहिनी ग्राम पंचायत वासियों की सड़क बिन हालात। इस ग्राम पंचायत की सूरत बदलने की जिम्मेदारी उठाई ग्राम पंचायत की मुखिया रितु जायसवाल ने।
रितु को मिला आदर्श युवा सरपंच का सम्मान
सोनबरसा प्रखंड की सिंहवाहिनी पंचायत की मुखिया रितु जायसवाल को इस साल का उच्च शिक्षित आदर्श युवा सरपंच (मुखिया) पुरस्कार मिल चुका है। रितु सम्मान ग्रहण करने वाली बिहार की अकेली मुखिया हैं। मालूम हो कि मुखिया रितु जायसवाल को यह पुरस्कार सिंहवाहिनी पंचायत में उनके विशिष्ट कार्यों को लेकर दिया गया। उन्होंने पंचायत में गरीब तबके के बच्चों के लिए नि:शुल्क शिक्षा, पंचायत में 1461 शौचालय व बिजली आपूर्ति आदि की व्यवस्था कराई है। रितु का कहना है कि उनका यह सम्मान पंचायत का सम्मान है।
रितु ने ऐसे की शुरुआत
रितु खुद बताती हैं कि भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय के अधीन आने वाले प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के डायरेक्टर जनरल श्री राजेश भूषण जी से संपर्क किया था, उन्हें अपनी तकलीफों से अवगत कराया, सुनवाई हुई और योजना स्वीकृत भी हुई, निविदा हुई और फिर कांट्रेक्टर को कॉन्ट्रैक्ट भी मिला। कोशिशें हकीकत में बदलने की आस जाग गई थी, लगा जैसे अब तो बस हम गांववालों की तकलीफें दूर होने को है पर राहें इतनी आसान कहां थी।
मुसीबतें पीछा करती रहीं
काम करने जब दिल्ली के कॉन्ट्रेक्टर साहब आये तो भ्रष्टाचार और अपराध से पीड़ित हमारे इलाके में उनकी कार्यारम्भ करने की हिम्मत जवाब दे गई और वो कार्य को टालते गए, हमलोगों ने उनसे बात की और बहुत समझाने बुझाने के बाद जब उन्हें सुरक्षा का आश्वासन दिया गया तब वो तैयार हुए। काम शुरू किया पर स्थितियां कहाँ संभलने वाली थी। अब एक नई अड़चन आई, अतिक्रमण की। 100 फ़ीट बढे तो फिर कई फ़ीट रुके। कोई जमीन छोड़ने को तैयार नहीं था । हर दिन विवाद, हर दिन बहस ।
निविदा तक रद्द हो गई
रितु ने अपने संघर्ष की कहानी को आगे बढाते हुए बताया कि त्रस्त हो कर कॉन्ट्रेक्टर साहब चल दिए अपने घर वापस। दोबारा निविदा हुई। इस बार सिंगल टेंडर की वजह से निविदा रद्द कर दी गई। उसके बाद बिहार सरकार के ग्रामीण कार्य विभाग के सेक्रेटरी श्री संतोष जी से हमलोगों ने एक बार फिर पहल करने की अपील की। निविदा हुई और अब तीसरी बार में निविदा संपन्न हुई। उस वक्त तक मैं किसी संवैधानिक पद पर तो थी नहीं, पर अब पंचायत की मुखिया के रूप में जब शपथ लिया तब आत्मबल में और वृद्धि हुई।
पंचायत की दशा सुधारने के लिए गांव वाले आये आगे
रितु ने बताया कि सड़क निर्माण में आने वाली चुनौतियां और बाधाएं वही थी पर इन बाधाओं से लड़ने केलिए कंधें से कंधा मिलाये खड़े थे अनेकों पंचायत वासी। सब ने कमर कस ली की जिस तरह 95 % प्रतिशत लोग जिस पंचायत में खुले में शौच जाते थे, उसे खुले में शौच मुक्त बनाया मात्र 3 महीने में, उसी तरह सड़क विहीन पंचायत को पुर्णतः सड़क युक्त बनाएंगे। और फिर क्या! शुरू हुई मुहीम, पंचायत को अतिक्रमण मुक्त बनाने की और फिर पुरे पंचायत की मुख्य सड़क की चौड़ाई 16 फ़ीट करने की। गांव की कमिटियों ने घर घर दौड़ा किया, सभाएं की, लोगों को सड़क बनने के फायदे से अवगत कराया ।
रितु ने बदल दिया गांव का नक्शा
नतीजा! सरकारी जमीन पर पड़ने वाले घर खुद लोगों ने स्वेक्षा से हटाए, कहीं कहीं लोगों ने पंचायत के विकास के लिए निजी जमीन भी दिए, अपने घर तोड़े। यहां तक की सड़क निर्माण के रास्ते में आने वाले धार्मिक मठ का कुछ हिस्सा भी पुजारियों और ग्रामीणों से बात करने के बाद सर्वसम्मति से ध्वस्त किया गया। हमारे कुछ पंचायतवासियों को लोगों के घर टूटने से तकलीफ भी पहुँची, हमें भी दुःख हुआ, आँखों में आंसू तक आ गए थे पर करती क्या, एक पिछड़े जगह की नई तक़दीर लिखनी है तो ये त्याग तो करना ही था।
कई दिनों की जद्दोजहद के बाद आखिरकार हमारे ग्राम पंचायत सिंहवाहिनी की मुख्य सड़क के निर्माण का रास्ता साफ हो गया और आखिरकार कुल 6,162 मीटर लंबी एवं 16 फ़ीट चौड़ी सड़क (12 फ़ीट 3.75 इंच के पिचिंग) पर कार्यारम्भ हुआ और अभी काफी तेज़ गति से चल रहा। इतनी लंबी सड़क में कई छोटी छोटी पुलिया भी शामिल है। अब लगभग पिचिंग से पहले का कार्य समाप्ति पर है, और आशा करती हूं बरसात से पहले पूरी पक्की सड़क हम गांव वालों को सुपुर्द कर दी जायेगी। ये सड़क हम गांववालों केलिए तोहफे के जैसी है, या फिर यूं कहें हम सब के खून पसीने की कमाई है। इसके रख रखाव का हम सब अच्छे से ध्यान रखेंगे। हमारे पंचायत से निकलने में जहाँ 1.5 घंटे लगते थे अब वो समय घट कर 15 से 20 मिनट का हो जाएगा। गांव वालों की मदद और रितु की जिद ने सिंहवाहिनी ग्राम पंचायत का नक्शा ही बदल दिया।
Source : IndiaWave
Source : IndiaWave
Post A Comment:
0 comments: